लोगों की राय

हास्य-व्यंग्य >> उर्दू की आखिरी किताब

उर्दू की आखिरी किताब

इब्ने इंशा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :155
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 14359
आईएसबीएन :9788126700455

Like this Hindi book 0

उर्दू में तंजनिगारी (व्यंग्य) के जो बेहतरीन उदाहरण मौजूद हैं उनमें इब्ने इंशा का अंदाज सबसे अलहदा और प्रभाव में कहीं ज्यादा गहरा, कहीं ज्यादा तीक्ष्ण है।

उर्दू में तंजनिगारी (व्यंग्य) के जो बेहतरीन उदाहरण मौजूद हैं उनमें इब्ने इंशा का अंदाज सबसे अलहदा और प्रभाव में कहीं ज्यादा गहरा, कहीं ज्यादा तीक्ष्ण है। इसका कारण है उनकी यथार्थपरकता, उनकी स्वाभाविकता और उनकी बेतकल्लुफी। उर्दू की आखिरी किताब उनकी इन सारी खूबियों का मुजस्सिम नमूना है।... यह किताब पाठ्य-पुस्तक शैली में लिखी गई है और इसमें भूगोल, इतिहास, व्याकरण, गणित, विज्ञान आदि विभिन्न विषयों पर व्यंग्यात्मक पाठ तथा प्रश्नावलियाँ दी गई हैं। इस ‘आखिरी किताब’ जुम्ले में भी व्यंग्य है कि छात्रों को जिससे विद्यारम्भ कराया जाता है वह प्रायः ‘पहली किताब’ होती है और यह ‘आखिरी किताब’ है। इंशाजी का व्यंग्य यहीं से शुरू होता है और शब्द-ब-शब्द तीव्र होता चला जाता है। इंशाजी के व्यंग्य में यहाँ जिन चीजों को लेकर चिढ़ दिखाई पड़ती है, वे छोटी-मोटी चीजें नहीं हैं। मसलन - विभाजन, हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की अवधारणा, कायदे-आजम जिन्ना, मुस्लिम बादशाहों का शासन, शिक्षा-व्यवस्था, थोथी नैतिकता, भ्रष्ट राजनीति, आदि। और अपनी सारी चिढ़ को वे बहुत गहन-गम्भीर ढंग से व्यंग्य में ढालते हैं - इस तरह कि पाठक को लज्जत भी मिले और लेखक की चिढ़ में वह खुद को शामिल भी महसूस करे।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai